राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission)


प्रस्तावना

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बांस (Bamboo) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे “गरीबों की लकड़ी” कहा जाता है क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध, सस्ता और टिकाऊ होता है। सरकार ने बांस के क्षेत्र में सुधार, उत्पादन, मूल्यवर्धन और विपणन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission – NBM) की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य बांस की खेती, इसकी प्रोसेसिंग और इससे जुड़े उत्पादों को एक संगठित ढांचे में लाकर किसानों की आमदनी बढ़ाना है।


राष्ट्रीय बांस मिशन क्या है?

राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM), भारत सरकार की एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है जो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन चलती है। इसकी शुरुआत 2006-07 में की गई थी, लेकिन इसे 2018 में पुनः संरचित (restructured) करके नए रूप में लागू किया गया।


राष्ट्रीय बांस मिशन के प्रमुख उद्देश्य

  • बांस की खेती को बढ़ावा देना और उसकी उत्पादकता में वृद्धि करना।
  • किसानों को बांस आधारित कृषि से जोड़कर उनकी आय बढ़ाना।
  • बांस प्रसंस्करण (Processing), मूल्यवर्धन (Value addition) और विपणन (Marketing) को सुविधाजनक बनाना।
  • अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना।
  • रोजगार के अवसर सृजित करना, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • बांस के निर्यात को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय बांस मिशन के मुख्य घटक

1. बांस रोपण (Bamboo Plantation)

  • गैर-कृषि भूमि और निजी भूमि पर बांस की खेती को प्रोत्साहित किया जाता है।
  • किसानों को उन्नत किस्मों के पौधे, सिंचाई और सुरक्षा के लिए अनुदान दिया जाता है।

2. संरचनात्मक सहायता (Infrastructure Development)

  • नर्सरी, प्रोसेसिंग यूनिट, भंडारण गोदाम, कोल्ड स्टोरेज आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • स्थानीय स्तर पर बांस आधारित शिल्पकला और हस्तशिल्प इकाइयों को सहयोग मिलता है।

3. क्षमता निर्माण (Capacity Building)

  • किसानों, कारीगरों और उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • बांस की गुणवत्ता सुधारने और उत्पादों के विविधीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

4. बाजार सृजन (Market Development)

  • बांस उत्पादों के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • ट्रेड फेयर, प्रदर्शनियों और विपणन केंद्रों के माध्यम से बिक्री को बढ़ावा दिया जाता है।

बांस मिशन के लाभ

1. किसानों के लिए आय का नया स्रोत

बांस की खेती से किसान पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक आय अर्जित कर सकते हैं क्योंकि बांस की मांग लगातार बढ़ रही है।

2. पर्यावरण संरक्षण

बांस कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाता है। यह मृदा अपरदन (Soil erosion) को रोकने में भी मदद करता है।

3. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार

बांस से जुड़े उद्योगों में लाखों लोगों को रोजगार मिलता है, जैसे बांस शिल्प, फर्नीचर, अगरबत्ती, टोकरियाँ आदि।

4. निर्यात में बढ़ोतरी

बांस के विविध उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लोकप्रिय हो रहे हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ मिल रहा है।


बांस मिशन से संबंधित सरकारी सहायता

  • किसानों को 80% तक अनुदान की सुविधा।
  • प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए 50%-70% सब्सिडी
  • उद्यमिता विकास हेतु बैंकों से सस्ते ब्याज दरों पर ऋण
  • प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से तकनीकी सहायता और ज्ञान हस्तांतरण

राष्ट्रीय बांस मिशन से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य

तथ्यविवरण
योजना का आरंभ2006-07
पुनः संरचना2018
मंत्रालयकृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
लाभार्थीकिसान, कारीगर, SHGs, उद्यमी
मुख्य फोकसखेती, प्रोसेसिंग, विपणन, R&D

बांस की उपयोगिता और इसके उत्पाद

  • निर्माण क्षेत्र – घर, पुल, सीढ़ियाँ
  • फर्नीचर – कुर्सी, मेज़, अलमारी
  • हस्तशिल्प – टोकरी, सजावटी वस्तुएँ
  • कागज उद्योग – बांस से कागज निर्माण
  • अगरबत्ती और हैंडल्स
  • कपड़ा उद्योग – बांस फाइबर से वस्त्र निर्माण
  • खाद्य उपयोग – बांस की कोपलों का उपयोग खाने में होता है

चुनौतियाँ और समाधान

1. चुनौतियाँ

  • किसानों में जागरूकता की कमी
  • बांस की खेती के लिए प्रशिक्षण का अभाव
  • प्रसंस्करण इकाइयों की कमी
  • बाज़ार तक पहुँच में कठिनाई

2. समाधान

  • मिशन के तहत प्रशिक्षण शिविर और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को प्रोत्साहन।
  • किसानों को ई-नाम (e-NAM) और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ना।

बांस मिशन का भविष्य

भारत में बांस उद्योग का भविष्य उज्जवल है। जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बांस एक पर्यावरण अनुकूल विकल्प है। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में भारत बांस उत्पादों का वैश्विक हब बने। बांस मिशन के माध्यम से लाखों किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।


निष्कर्ष

राष्ट्रीय बांस मिशन न केवल एक कृषि योजना है, बल्कि यह ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक सशक्त कदम है। यह किसानों के लिए एक वैकल्पिक आय का स्रोत उपलब्ध कराता है और साथ ही साथ देश को हरित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर करता है। यदि इस मिशन को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो भारत बांस उत्पादन और निर्यात दोनों में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन सकता है।

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