राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (NAPS) | National Apprenticeship Promotion Scheme

भारत सरकार ने युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने एवं व्यावसायिक कौशल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (NAPS) की शुरुआत की है। यह योजना युवाओं को औद्योगिक प्रशिक्षण एवं व्यावहारिक अनुभव से लैस करने का एक अभिन्न माध्यम है, जिससे उनकी रोजगार योग्यता में वृद्धि हो सके। इस लेख में हम विस्तार से राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के उद्देश्य, महत्व, लाभ, पात्रता मानदंड एवं क्रियान्वयन प्रक्रिया पर चर्चा करेंगे।

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (NAPS) क्या है?

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (NAPS) भारत सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य उद्योगों और प्रशिक्षणार्थियों के बीच सीधे संपर्क स्थापित करना और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षुता प्रदान कर युवाओं को कार्यक्षेत्र के लिए तैयार करना है। इस योजना के अंतर्गत सरकार उद्योगों को शिक्षुता प्रशिक्षण देने हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करती है ताकि वे अधिक से अधिक युवाओं को शिक्षुता के अवसर उपलब्ध करा सकें।

NAPS के मुख्य उद्देश्य

  • उद्योगों में युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षुता प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • छोटे एवं बड़े उद्योगों को प्रशिक्षण देने में प्रोत्साहित करना।
  • कौशल विकास को बढ़ावा देकर रोजगार अवसरों का सृजन।
  • युवाओं के रोजगार योग्य होने की संभावना बढ़ाना।
  • आधुनिक उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप व्यावसायिक कौशल का विकास।

NAPS की विशेषताएँ और लाभ

शिक्षु और नियोक्ताओं के लिए लाभ

  • आर्थिक सहायता : सरकार नियोक्ताओं को शिक्षुता प्रशिक्षण पर मासिक आधार पर आर्थिक सहायता प्रदान करती है जिससे प्रशिक्षण देने की लागत कम होती है।
  • अधिक रोजगार के अवसर : शिक्षुता प्रशिक्षित युवा बेहतर रोजगार पाने में सक्षम होते हैं।
  • व्यावहारिक अनुभव : युवाओं को वास्तविक उद्योग परिवेश में प्रशिक्षण मिलता है जिससे उनके कौशल में सुधार होता है।
  • प्रतिभा विकास : प्रशिक्षुओं की दक्षता और आत्मविश्वास दोनों का विकास होता है।
  • उद्योगों को दक्ष कार्यबल : नियोक्ताओं को प्रशिक्षित एवं कुशल युवा कार्यबल प्राप्त होता है।

सरकारी आर्थिक सहायता की जानकारी

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के तहत सरकार नियोक्ता को प्रत्येक शिक्षु के लिए मासिक छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण सम्बन्धी सहायता प्रदान करती है। यह सहायता शिक्षुता अवधि के दौरान दी जाती है ताकि अधिक से अधिक उद्योग प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल हों।

NAPS के अंतर्गत पात्रता मानदंड

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के लिए पात्रता निम्नलिखित प्रकार से निर्धारित है:

  • शिक्षु : योजना के लिए 14 से 35 वर्ष के बीच के युवा पात्र माने जाते हैं। कुछ विशेष केसेस में आयु सीमा बढ़ाई जा सकती है।
  • नियोक्ता : भारत में पंजीकृत कोई भी उद्योग, फैक्ट्री, कंम्पनी या संगठन जो प्रशिक्षण देने में सक्षम हो, इस योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकता है।
  • प्रशिक्षण संस्थान : जो मान्यता प्राप्त संस्थान या अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग प्रदाता हों।

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के तहत प्रशिक्षण का प्रकार

NAPS के अंतर्गत तीन प्रकार के शिक्षुता प्रशिक्षण उपलब्ध हैं:

  • उद्योग आधारित शिक्षुता (Industry based Apprenticeship): जिसमें शिक्षु प्रत्यक्ष रूप से उद्योग में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।
  • संविधानिक शिक्षुता (Optional Trade Apprenticeship): जिसमें कुछ विशेष ट्रेड के तहत प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित शिक्षुता (Institutional Training): जहां संस्थान में प्रशिक्षित युवाओं को औद्योगिक प्रशिक्षण के बाद व्यावहारिक अनुभव से जोड़ा जाता है।

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना का लाभ लेने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  1. पंजीकरण : नियोक्ता और इच्छुक प्रशिक्षणार्थी को राष्ट्रीय शिक्षुता पोर्टल पर पंजीकरण करना होता है।
  2. प्रशिक्षण की योजना बनाना : नियोक्ता अपनी आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षुता का कार्यक्रम बनाते हैं।
  3. शिक्षु का चयन : योग्य और इच्छुक शिक्षुता उम्मीदवारों का चयन किया जाता है।
  4. प्रशिक्षण शुरू करना : चयनित युवाओं को निर्देशित उद्योग में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
  5. सरकारी सहायता प्राप्त करना : योग्य प्रशिक्षण और दस्तावेज़ के आधार पर सरकारी अनुदान या प्रोत्साहन राशि प्राप्त होती है।
  6. प्रशिक्षण पूरा करना एवं प्रमाण पत्र प्राप्त करना : प्रशिक्षण के सफल समापन पर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है, जिससे युवाओं के कौशल का औपचारिक प्रमाणित दस्तावेज बनता है।

नियोक्ता और शिक्षु की भूमिका

नियोक्ता: नियोक्ता को शिक्षु को उद्योग के माहौल में व्यावहारिक ज्ञान और तकनीकी कौशल प्रदान करना होता है। उसे शिक्षुता प्रशिक्षण के दौरान उचित मार्गदर्शन, सुरक्षा एवं प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध करानी होती है।

शिक्षु: शिक्षु को निर्धारित समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना होता है, नए कौशल सीखने की तत्परता रखनी होती है और उद्योग की आवश्यकताओं को समझते हुए व्यावहारिक प्रोजेक्ट्स पर काम करना होता है।

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के प्रभाव और सफलता के उदाहरण

NAPS ने भारत में युवाओं के कौशल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभिन्न उद्योगों में प्रशिक्षित युवाओं ने रोजगार पाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने में सफलता हासिल की है। कई राज्यों और नियोक्ताओं ने इस योजना को अपनाकर जहाँ रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं, वहीं युवाओं की जीवन गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना से जुड़े कुछ मुख्य कीवर्ड

  • राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना
  • NAPS
  • शिक्षुता योजना
  • कौशल विकास
  • औद्योगिक प्रशिक्षण
  • युवा रोजगार
  • प्रशिक्षण अवसर

चुनौतियाँ और आगे की दिशा

हालांकि NAPS युवाओं और उद्योग दोनों के लिए लाभकारी साबित हुई है, इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं जैसे शिक्षुता के लिए नियोक्ताओं की सीमित भागीदारी, ग्रामीण और दूर-दराज क्षेत्रों में प्रशिक्षण की कमी, और समुचित जागरूकता का अभाव। सरकार निरंतर प्रयासरत है कि अधिक से अधिक युवाओं तक इसकी पहुँच हो और प्रशिक्षण की गुणवत्ता बनी रहे। इसके लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग, प्रशिक्षण केंद्रों का विस्तार और उद्योग–शिक्षा के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया जा रहा है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (NAPS) भारत के युवाओं को कौशल विकसित करने और रोजगार के अवसर प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह योजना न केवल युवाओं के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण का अवसर उपलब्ध कराती है, बल्कि उद्योगों के लिए भी सक्षम और प्रशिक्षित मानव संसाधन प्रदान करती है। राष्ट्रीय विकास एवं आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने हेतु NAPS का महत्व अत्यंत है। युवाओं को चाहिए कि वे इस योजना का लाभ उठाएं और अपने भविष्य को संवारें। इसी प्रकार नियोक्ताओं को भी चाहिए कि वे इस योजना के अंतर्गत अधिकाधिक शिक्षुता प्रदान कर देश के कौशल विकास में सहयोग करें।

Leave a Comment